8th Pay Commission Update – सरकारी नौकरी करने वालों के लिए 2026 का साल बड़ी खुशखबरी लेकर आने वाला है। वजह है 8वां वेतन आयोग जिसकी सिफारिशें इसी साल लागू हो सकती हैं। इसको लेकर चर्चा जोरों पर है और खास बात ये है कि अगर केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की मांग मान ली तो उनकी सैलरी में जबरदस्त बढ़ोतरी होने वाली है। कहीं कहीं तो यह दावा भी किया जा रहा है कि न्यूनतम वेतन में करीब 92 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
फिटमेंट फैक्टर क्या होता है और यही क्यों चर्चा में है
अगर आपने फिटमेंट फैक्टर का नाम पहली बार सुना है तो थोड़ा समझ लीजिए। जब भी कोई नया वेतन आयोग लागू होता है तो पुरानी सैलरी को एक तय गुणक यानी मल्टीप्लायर से गुना कर नया वेतन तय किया जाता है। इसी गुणक को फिटमेंट फैक्टर कहा जाता है।
सातवें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था यानी पुराने बेसिक को 2.57 से गुणा किया गया था। उसी के हिसाब से 7000 रुपये का वेतन सीधा 18000 हो गया था। अब आठवें वेतन आयोग के लिए कर्मचारी चाहते हैं कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.57 या उससे ज्यादा रखा जाए ताकि उन्हें महंगाई के मुकाबले में थोड़ी राहत मिल सके।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी
अगर सरकार 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू करती है तो मौजूदा 18000 रुपये का न्यूनतम वेतन बढ़कर सीधा 46260 रुपये हो जाएगा। वहीं जिनकी बेसिक सैलरी अभी ज्यादा है उनकी सैलरी में तो कई हजार रुपये का इजाफा होगा। ऐसे में मध्यम और उच्च वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को भी बड़ा फायदा होगा।
मौजूदा हालात में कर्मचारी संगठन सरकार से कम से कम 2.57 या फिर 3.00 तक का फिटमेंट फैक्टर लागू करने की मांग कर रहे हैं। कुछ संगठनों ने तो 3.68 तक की मांग भी रख दी है हालांकि इस पर सहमति बनने में थोड़ा समय लग सकता है।
लेकिन सरकार क्या सोच रही है
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार शायद 1.92 का फिटमेंट फैक्टर लागू कर सकती है क्योंकि ज्यादा बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। अगर 1.92 का फैक्टर लागू हुआ तो बेसिक सैलरी 18000 से बढ़कर 34560 रुपये हो जाएगी जो करीब 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का कहना है कि 2.57 या उससे ज्यादा का फैक्टर फिलहाल थोड़ा मुश्किल है लेकिन 1.92 तक की गुंजाइश जरूर बनती है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या फैसला लेती है क्योंकि कर्मचारी संगठन अपने रुख पर अड़े हुए हैं।
क्यों जरूरी है ज्यादा फिटमेंट फैक्टर
JCM यानी ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि आज की महंगाई, शिक्षा, इंटरनेट खर्च, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल सुविधाओं की लागत को देखते हुए 2.57 से कम कोई विकल्प स्वीकार नहीं होगा। उनका कहना है कि 1957 में बने जीवन निर्वाह वेतन के फॉर्मूले को अब अपग्रेड करने की जरूरत है।
7वें वेतन आयोग ने जिस आधार पर सैलरी तय की थी उसमें सिर्फ तीन यूनिट परिवार का खर्च माना गया था। लेकिन अब पांच यूनिट का खर्च मानना चाहिए क्योंकि अब परिवारों में माता पिता भी आश्रित होते हैं और खर्च पहले से ज्यादा हो गया है।
कब लागू हो सकता है आठवां वेतन आयोग
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं और उसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रहा है। ऐसे में 1 जनवरी 2026 से आठवां वेतन आयोग लागू होने की पूरी संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में 16 जनवरी 2025 को इसकी मंजूरी भी मिल चुकी है हालांकि अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की घोषणा अब तक नहीं हुई है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि आयोग की प्रक्रिया में देरी हो सकती है क्योंकि सरकार को चुनावी साल में बजट और खर्च के बीच संतुलन बनाना होगा। लेकिन कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि इसे समय पर लागू किया जाए ताकि कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय पर लाभ मिल सके।
पेंशनर्स को भी मिलेगा फायदा
केवल नौकरीपेशा कर्मचारी ही नहीं बल्कि रिटायर्ड कर्मचारी यानी पेंशनर्स को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। अगर बेसिक सैलरी बढ़ती है तो उसी अनुपात में पेंशन भी बढ़ेगी। मौजूदा 9000 रुपये की न्यूनतम पेंशन बढ़कर 23130 रुपये तक हो सकती है। इससे लाखों बुजुर्गों को बड़ी राहत मिलेगी खासकर जो केवल पेंशन पर ही निर्भर हैं।
8वां वेतन आयोग केवल वेतन बढ़ाने का माध्यम नहीं है बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक जरूरी कदम है। अगर फिटमेंट फैक्टर की मांगें पूरी होती हैं तो लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को इसका सीधा लाभ मिलेगा। यह कदम कर्मचारियों की खरीद क्षमता बढ़ाएगा और अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक असर डालेगा।
अब सबकी निगाहें सरकार पर हैं कि वह कर्मचारियों की मांग को कितना गंभीरता से लेती है और नए वेतन आयोग को किस पैमाने पर लागू करती है।