कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर! 18 महीने के बकाया भत्ते पर सरकार का बड़ा फैसला – DA Arrears News

By Prerna Gupta

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DA Arrears News – सरकारी नौकरी करने वालों के लिए महंगाई भत्ता यानी DA सिर्फ एक भत्ता नहीं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ा अहम हिस्सा होता है। खासकर जब महंगाई लगातार बढ़ती जा रही हो, तब यह भत्ता उनकी जेब पर पड़ रहे असर को कुछ हद तक संतुलित करता है। लेकिन केंद्र सरकार के लाख दावों और भरोसे के बावजूद 18 महीने का बकाया DA अभी भी अटका पड़ा है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इसका हल कब निकलेगा और क्या कर्मचारियों को उनका हक मिलेगा या फिर यह मामला यूं ही खिंचता रहेगा?

जनवरी 2025 से DA में 2% की बढ़ोतरी, लेकिन क्या ये काफी है?

केंद्र सरकार ने हाल ही में जनवरी 2025 से DA में 2% की बढ़ोतरी करते हुए इसे 55% कर दिया है। यह खबर निश्चित तौर पर एक राहत भरी खबर है और इसके तहत जनवरी से मार्च 2025 तक की बढ़ी हुई राशि का भुगतान अप्रैल 2025 के वेतन के साथ किया जाएगा। लेकिन इस बढ़ोतरी की खुशी ज्यादा देर टिक नहीं पाती क्योंकि कर्मचारियों को असली चिंता उस 18 महीने के बकाया DA की है, जो अब तक अधर में लटका हुआ है।

कोविड काल में रोका गया था DA, अब तक नहीं मिला एरियर

अगर हम थोड़ा पीछे जाएं तो याद आता है कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक के 18 महीने के लिए DA की तीन किस्तों पर रोक लगा दी थी। उस वक्त सरकार ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए यह फैसला लिया था और कहा था कि स्थिति सुधरने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। सरकार ने उस दौरान कुल 11% DA रोककर अरबों रुपये बचा लिए, लेकिन कर्मचारियों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई अब तक नहीं की गई।

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कर्मचारी संगठन लगातार कर रहे हैं मांग

सरकारी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे को लंबे समय से उठा रहे हैं। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया है कि कर्मचारियों के हक की यह लड़ाई लगातार लड़ी जा रही है। कैबिनेट सचिव को इस बारे में कई बार पत्र लिखा जा चुका है और वित्त मंत्रालय को भी विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया है। लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, फिर भी सरकार चुप

कर्मचारी संगठनों ने सरकार को सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का भी हवाला दिया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अगर कर्मचारियों का कोई भुगतान रोका जाता है, तो उसे 6% ब्याज के साथ देना होगा। इसके बावजूद सरकार न सिर्फ भुगतान टाल रही है, बल्कि ब्याज की बात तो कहीं दूर-दूर तक नहीं कर रही।

कुल रकम 34,402 करोड़ रुपये – क्या सरकार के लिए भारी है ये बोझ?

जानकारों के अनुसार, अगर केंद्र सरकार 18 महीने के DA एरियर का भुगतान करती है, तो इस पर कुल खर्च 34,402 करोड़ रुपये आएगा। यह रकम बड़ी जरूर है, लेकिन अगर इसे किस्तों में दिया जाए तो सरकार के लिए भी संभालना आसान होगा और कर्मचारियों को भी राहत मिलेगी।

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सरकार का जवाब – अभी हालात नहीं हैं अनुकूल

सरकार की ओर से जो अब तक जवाब आए हैं, वे कर्मचारियों के लिए ज्यादा हौसला बढ़ाने वाले नहीं हैं। वित्त राज्य मंत्री ने संसद में जवाब देते हुए कहा था कि राजकोषीय घाटा अभी भी FRBM एक्ट में तय सीमा से दोगुना है, ऐसे में एरियर्स देना फिलहाल व्यावहारिक नहीं है। यानी सरकार ने यह साफ कर दिया है कि जब तक उसकी आर्थिक हालत नहीं सुधरती, तब तक DA एरियर का मामला सिर्फ कागजों में ही रहेगा।

क्या हैं कर्मचारी संगठनों के सुझाव?

कर्मचारी संगठनों ने सरकार को कई व्यवहारिक सुझाव भी दिए हैं – जैसे कि एरियर की राशि को किस्तों में बांटना, या फिर एकमुश्त भुगतान की बजाय इसे DA की अगली किस्तों में समायोजित करना। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन सुझावों को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया गया है।

कर्मचारियों में बढ़ रही निराशा

सरकार के इस ठंडे रवैये से कर्मचारियों और पेंशनरों में निराशा और असंतोष बढ़ता जा रहा है। उन्हें लगता है कि जो पैसा उनका हक है, वह भी उन्हें मांगकर लेना पड़ रहा है। यही कारण है कि कई संगठनों ने आंदोलन की भी चेतावनी दी है।

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क्या आगे उम्मीद की कोई किरण है?

जनवरी 2025 में DA में 2% की बढ़ोतरी और उसका एरियर अप्रैल वेतन के साथ देना भले ही सकारात्मक कदम हो, लेकिन इससे 18 महीने की बकाया राशि का दर्द नहीं मिटता। हां, कर्मचारी संगठन अब भी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आर्थिक हालात जैसे-जैसे बेहतर होंगे, सरकार इस मुद्दे को प्राथमिकता देगी।

18 महीने का DA एरियर अब सिर्फ एक वित्तीय मुद्दा नहीं, बल्कि कर्मचारियों के सम्मान और हक से जुड़ा मामला बन चुका है। सरकार ने जहां DA में वृद्धि करके एक अच्छा संकेत दिया है, वहीं पुराने एरियर्स पर चुप्पी अभी भी सवाल खड़े कर रही है। अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाती है या फिर कर्मचारियों को इंतजार की घड़ी और लंबी खींचनी पड़ेगी।

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