Advertisement

बिना इनके इजाजत के नहीं बेच सकते पुश्तैनी जमीन, जानिए कोर्ट का सख्त नियम – Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Property Rights – भारत में संपत्ति से जुड़े मामले ना सिर्फ भावनात्मक होते हैं, बल्कि कानूनी पेचीदगियों से भी भरपूर होते हैं। खासकर जब बात आती है पुश्तैनी यानी वंशानुगत संपत्ति की। कई बार परिवारों में झगड़े सिर्फ इसलिए हो जाते हैं क्योंकि किसी एक सदस्य ने जमीन या मकान बेच दिया, बिना बाकी हिस्सेदारों की राय लिए। इस लेख में हम बिल्कुल सरल और कैजुअल भाषा में समझाएंगे कि पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है, इसे बेचने के लिए किनकी अनुमति जरूरी होती है और इसके क्या-क्या कानूनी पहलू होते हैं।

पुश्तैनी संपत्ति होती क्या है?

सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि पुश्तैनी संपत्ति मतलब क्या होता है। भारत में संपत्ति दो तरह की मानी जाती है –

  1. स्व-खरीदी या निजी संपत्ति
  2. वंशानुगत या पुश्तैनी संपत्ति

स्व-खरीदी संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति ने अपनी मेहनत या कमाई से खरीदी होती है। इस पर सिर्फ उसी व्यक्ति का हक होता है। चाहे वह उसे बेचे, दान दे या वसीयत कर दे, उसे किसी से पूछने की जरूरत नहीं होती।

यह भी पढ़े:
पेंशनर्स की बल्ले-बल्ले! DA हाइक से पेंशन में जबरदस्त उछाल, जानें नया कैलकुलेशन – DA Hike

दूसरी तरफ, पुश्तैनी संपत्ति वह होती है जो हमारे दादा, परदादा या उनसे ऊपर की पीढ़ियों से हमें विरासत में मिली हो। इसे हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत देखा जाता है। इस संपत्ति पर परिवार के चार पीढ़ियों का बराबर का अधिकार होता है – यानी दादा, पिता, पुत्र और पौत्र।

क्या कोई एक सदस्य पुश्तैनी संपत्ति बेच सकता है?

बिल्कुल नहीं। अगर आप सोचते हैं कि आप किसी पुश्तैनी मकान या जमीन के कागज़ों पर सिर्फ अपने नाम से हस्ताक्षर करके उसे बेच सकते हैं, तो यह एक भारी गलतफहमी है।

इस तरह की संपत्ति पर सभी वारिसों का बराबर हक होता है। चाहे बेटा हो, बेटी हो या फिर अन्य कानूनी उत्तराधिकारी, हर किसी की सहमति जरूरी होती है। बिना उनकी लिखित अनुमति के संपत्ति बेचना अवैध माना जाएगा।

यह भी पढ़े:
सरकारी कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! HRA में जबरदस्त बढ़ोतरी का ऐलान – 8th Pay Commission News

अगर बिना सहमति संपत्ति बेच दी जाए तो?

मान लीजिए किसी एक भाई ने पुश्तैनी जमीन बेच दी, जबकि बाकी भाइयों, बहनों या अन्य वारिसों की राय नहीं ली, तो क्या होगा?
तो ऐसे में बाकी हिस्सेदार कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

  • कोर्ट में जाकर उस सौदे को चुनौती दी जा सकती है
  • संपत्ति की बिक्री पर स्टे ऑर्डर लग सकता है
  • यहां तक कि उस सौदे को रद्द भी किया जा सकता है
  • खरीदार को नुकसान हो सकता है और बेचने वाले पर कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है

पारिवारिक झगड़े और रिश्तों में दरार

पुश्तैनी संपत्ति से जुड़े विवाद आमतौर पर रिश्तों में खटास ला देते हैं। एक छोटे से मकान या खेत के टुकड़े के लिए कई बार भाई-बहन तक एक-दूसरे से बात करना बंद कर देते हैं।

बिना सहमति जमीन बेचने से पारिवारिक तनाव, कानूनी लड़ाई और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है। इसलिए बेहतर यही होता है कि सभी सदस्य आपस में बैठकर बातचीत करें और फैसला लें।

यह भी पढ़े:
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जबरदस्त उछाल! जानिए आपके शहर में कितनी बढ़ी कीमत – Petrol-Diesel Price Update

वकील से सलाह लेना क्यों जरूरी है?

अगर आप किसी पुश्तैनी संपत्ति को बेचना या खरीदना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी वकील से सलाह जरूर लें।

  • वकील बताएगा कि संपत्ति पुश्तैनी है या निजी
  • सही कानूनी प्रक्रिया क्या है
  • किन दस्तावेजों की जरूरत है
  • और भविष्य में कोई विवाद ना हो, इसकी गारंटी देने में मदद करेगा

बेटियों का भी बराबर का अधिकार

एक समय था जब बेटियों को पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में यह स्पष्ट कर दिया कि बेटियों को भी बेटों की तरह बराबर का हिस्सा मिलेगा – चाहे पिता की मृत्यु हो चुकी हो या नहीं।

इसलिए बेटियों की भी सहमति लेना उतना ही जरूरी है जितना बेटों की।

यह भी पढ़े:
सस्ता हुआ LPG सिलेंडर! अभी देखें अपने शहर का नया रेट – LPG Gas Cylinder Price

क्या कोई रास्ता है विवाद से बचने का?

बिल्कुल है। अगर सभी हिस्सेदार मिलकर एक पारिवारिक समझौता (Family Settlement Deed) तैयार कर लें, तो भविष्य में कोई भी विवाद नहीं होगा।

  • यह एक कानूनी दस्तावेज होता है
  • इसमें साफ-साफ लिखा होता है कि किसे कितना हिस्सा मिला है
  • इसे नजदीकी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड कराना चाहिए

तो कुल मिलाकर बात यही है कि पुश्तैनी संपत्ति को बेचना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। सभी वारिसों की लिखित सहमति और कानूनी प्रक्रिया जरूरी होती है।
अगर बिना सहमति संपत्ति बेची जाती है, तो वह कानूनी तौर पर रद्द भी हो सकती है और इससे परिवार में तनाव भी पैदा हो सकता है।

इसलिए हमेशा पूरी जानकारी रखें, वकील की सलाह लें और पारदर्शिता के साथ कदम उठाएं। याद रखिए – एक समझदारी भरा फैसला कई सालों की कानूनी लड़ाई से आपको बचा सकता है।

यह भी पढ़े:
सोने के शौकिनों के लिए खुशखबरी! सोने के दामों में बड़ी गिरावट, जानें अपने शहर का नया रेट – Gold Silver Rate Today

5 seconds remaining

Leave a Comment

Join Whatsapp Group