Pensioners Rights – हाई कोर्ट ने हाल ही में देश के लाखों पेंशनरों के लिए राहत भरा एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला खास तौर पर उन रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों के लिए है जो 30 जून या 31 दिसंबर को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे सभी पेंशनरों को 1 जुलाई या 1 जनवरी को होने वाली नियमित वेतनवृद्धि का लाभ भी मिलना चाहिए।
इस फैसले से न सिर्फ पेंशन की राशि बढ़ेगी बल्कि उन्हें पुराने बकाया वेतन (एरियर) का भुगतान भी 7% ब्याज के साथ किया जाएगा। यह आदेश एक तरह से उन हज़ारों रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए न्याय की जीत है जो लंबे समय से इस मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे।
किसे मिलेगा फायदा?
इस फैसले का सीधा असर लगभग 71,000 पेंशनरों पर पड़ेगा। ये वे कर्मचारी हैं जो 30 जून या 31 दिसंबर को रिटायर हुए थे, और महज एक दिन से वे वेतनवृद्धि से वंचित हो गए थे जो हर साल 1 जुलाई और 1 जनवरी को लागू होती है। अब कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ एक दिन के अंतर के कारण किसी को वेतनवृद्धि से वंचित नहीं किया जा सकता।
क्या था मामला?
दरअसल, पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आमोद सक्सेना और नर्मदापुरम इकाई के अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी ने अगस्त 2023 में जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि सरकार यह कहकर वेतनवृद्धि का लाभ नहीं दे रही है कि ये कर्मचारी वेतनवृद्धि से एक दिन पहले ही रिटायर हो चुके हैं।
परंतु असल में देखा जाए तो ये कर्मचारी पूरे साल सेवा में रहते हैं, और सिर्फ वेतनवृद्धि की तिथि आने से एक दिन पहले रिटायर होते हैं। ऐसे में इन्हें उस साल की वेतनवृद्धि से वंचित करना नाइंसाफी है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पूरी तरह से अन्याय है कि सेवा समाप्ति की तिथि केवल एक दिन पहले होने के कारण किसी कर्मचारी को वेतनवृद्धि का लाभ न मिले। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि ऐसे सभी पेंशनरों को 1 मई 2023 से एरियर दिया जाए और उस पर 7% का ब्याज भी जोड़ा जाए।
साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी भुगतान 6 हफ्तों के अंदर कर दिए जाएं। यह आदेश राज्य सरकार और संबंधित पेंशन वितरण एजेंसियों के लिए बाध्यकारी होगा।
ग्रेच्युटी और पेंशन में भी फायदा
इस फैसले का असर केवल पेंशन पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि इससे रिटायरमेंट के समय मिलने वाली ग्रेच्युटी और अन्य लाभों की गणना भी नए बढ़े हुए वेतन के आधार पर की जाएगी। यानी ग्रेच्युटी की राशि भी बढ़ेगी और पेंशन का मासिक भुगतान भी पहले से अधिक होगा।
सरकार की ज़िम्मेदारी बढ़ी
अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो कोर्ट के आदेशों को समय पर लागू करे और जिन पेंशनरों को इस लाभ से वंचित रखा गया था, उन्हें न्याय दे। यह आदेश न केवल मध्य प्रदेश के कर्मचारियों पर लागू होगा, बल्कि इससे दूसरे राज्यों में भी इसी तरह की याचिकाओं को बल मिलेगा।
क्या यह फैसला पूरे देश पर लागू होगा?
फिलहाल यह फैसला मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट का है, लेकिन इस आदेश की व्याख्या और असर पूरे देश के संदर्भ में किया जा सकता है। अगर अन्य राज्यों में भी इसी तरह की याचिकाएं दायर की जाती हैं, तो यह आदेश एक मिसाल के तौर पर सामने रखा जा सकता है।
पेंशनर्स में खुशी की लहर
इस फैसले के बाद से पेंशनर्स में काफी खुशी है। वे अब खुद को न्याय प्राप्त मान रहे हैं और उन्हें यह भरोसा मिला है कि सिस्टम में अब भी उनकी आवाज सुनी जाती है।
एक पेंशनर का कहना था, “हम सालों तक ईमानदारी से सेवा करते हैं, और अगर एक दिन के अंतर से वेतनवृद्धि नहीं दी जाती तो यह हमारे साथ अन्याय होता। कोर्ट ने हमें न्याय दिलाया, अब सरकार से उम्मीद है कि इसे ईमानदारी से लागू भी किया जाएगा।”
हाई कोर्ट का यह फैसला एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे पेंशनरों को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि यह उनके आत्म-सम्मान की भी रक्षा करता है। यह फैसला उन सभी कर्मचारियों के लिए एक सबक भी है जो सेवानिवृत्ति से पहले अपने वेतन और भत्तों को लेकर लापरवाही बरतते हैं।
अब जब कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक दिन का अंतर भी वेतनवृद्धि को रोकने का आधार नहीं हो सकता, तो उम्मीद की जा रही है कि देशभर के पेंशनर संगठनों को इससे मजबूती मिलेगी और लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों को उनका हक मिलेगा।