Property Possession News – आज के दौर में मकान को किराए पर देना बहुत आम बात है। हर दूसरा शख्स, खासतौर पर शहरों में, अपनी खाली संपत्ति से कुछ कमाई करना चाहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको आपकी ही संपत्ति से बेदखल कर सकती है? हां, आपने सही पढ़ा! अगर किराएदार लंबे समय तक आपके मकान पर कब्जा किए बैठा रहा और आपने कानूनी तौर पर कोई एक्शन नहीं लिया, तो वह कानूनी रूप से उस प्रॉपर्टी का मालिक भी बन सकता है।
तो सवाल ये है – आखिर कितने साल बाद किराएदार बन जाता है मालिक?
इसका जवाब है – 12 साल। भारतीय कानून के तहत अगर कोई शख्स किसी मकान पर 12 साल तक लगातार कब्जा बनाए रखता है और असली मालिक उस कब्जे के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो वह व्यक्ति उस संपत्ति पर स्वामित्व का दावा कर सकता है। इसे कानून की भाषा में Adverse Possession यानी प्रतिकूल कब्जा कहा जाता है।
लेकिन रुकिए! इसका मतलब ये नहीं कि हर किराएदार 12 साल बाद आपकी प्रॉपर्टी हड़प सकता है। इसके लिए कुछ खास शर्तें होती हैं, और साथ ही मकान मालिक अगर थोड़ी सी सतर्कता बरते तो ऐसे हालात बनने ही नहीं देंगे।
क्या कहता है भारतीय कानून?
लिमिटेशन एक्ट 1963 के सेक्शन 65 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति बिना वैध अधिकार के किसी संपत्ति पर 12 साल तक लगातार, खुलेआम और बिना किसी रोक-टोक के कब्जा बनाए रखता है, और असली मालिक ने इस अवधि में कोई ऐतराज नहीं जताया या कोर्ट का रुख नहीं किया, तो कब्जा करने वाला उस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक बन सकता है।
लेकिन ये नियम तभी लागू होता है जब कब्जा “बिना अनुमति” का हो। यानी अगर किराएदार के पास लिखित किरायानामा है और वह हर महीने किराया दे रहा है, तो वह कानूनी रूप से कब्जाधारी नहीं बल्कि किराएदार ही माना जाएगा।
किराएदार मालिक कैसे बन सकता है?
वैसे तो ऐसा होना मुश्किल है, लेकिन अगर मकान मालिक लापरवाही करे और किराएदार चालाक निकले, तो वह कुछ सालों में खुद को मालिक साबित कर सकता है। इसके लिए किराएदार को ये साबित करना होगा:
- वह पिछले 12 सालों से लगातार मकान में रह रहा है
- मकान मालिक ने उससे न तो किराया लिया, न ही कोई कानूनी आपत्ति जताई
- मकान पर उसका कब्जा खुलेआम और शांतिपूर्वक रहा है
अगर कोर्ट को यह सब बातें सही लगें, तो कोर्ट उसके पक्ष में फैसला दे सकती है।
मकान मालिक क्या करें? अपनी प्रॉपर्टी को कैसे सुरक्षित रखें?
1. लिखित किरायानामा जरूर बनवाएं
मौखिक समझौते पर मकान किराए पर देने से बचें। एक मजबूत और स्पष्ट रेंट एग्रीमेंट बनवाएं जिसमें किराए की राशि, अवधि, किराया देने की तारीख, मकान की स्थिति जैसी बातें दर्ज हों। हर साल या हर दो साल में इसका नवीनीकरण कराना न भूलें।
2. किराए की रसीद बनाएं और बैंक ट्रांजैक्शन रखें
किराया लेने के बाद हर बार रसीद दें और किराया अपने बैंक अकाउंट में ही लें, ताकि बाद में सबूत पेश किया जा सके कि यह संबंध सिर्फ मकान मालिक और किराएदार का था।
3. प्रॉपर्टी का नियमित निरीक्षण करें
कम से कम हर 3-4 महीने में एक बार अपनी प्रॉपर्टी देखने जरूर जाएं। इससे न सिर्फ यह पता चलता रहेगा कि मकान सही हालत में है, बल्कि किराएदार को भी यह संकेत जाएगा कि मालिक सतर्क है।
4. अनाधिकृत निर्माण की अनुमति न दें
अगर किराएदार आपकी अनुमति के बिना दीवार तोड़ रहा है, निर्माण कर रहा है या मकान में बड़ा बदलाव कर रहा है, तो तुरंत सख्त ऐतराज जताएं और जरूरत पड़ी तो कानूनी कदम उठाएं।
5. लंबे समय तक एक ही किराएदार न रखें
बहुत लंबी अवधि तक एक ही किराएदार रखने से बेहतर है कि हर 2-3 साल में किराएदार बदलते रहें। इससे 12 साल की कानूनी शर्त लागू नहीं हो सकेगी।
कब लेना चाहिए वकील की सलाह?
अगर आपको लगता है कि किराएदार लंबे समय से बिना किराया दिए रह रहा है, आपकी बात नहीं मान रहा या मकान में अवैध निर्माण कर रहा है, तो समय गंवाए बिना वकील से संपर्क करें। देर करने से मामला गंभीर हो सकता है और आप कानूनी रूप से कमजोर पड़ सकते हैं।
मकान किराए पर देना गलत नहीं है, लेकिन सावधानी जरूरी है। एक सधे हुए रेंट एग्रीमेंट, नियमित भुगतान का रिकॉर्ड और सक्रियता ही आपके मकान को सुरक्षित रख सकती है।
किराएदार पर भरोसा करना अच्छी बात है, लेकिन आँख मूंद कर नहीं। थोड़ी सी सतर्कता और जागरूकता आपको सालों बाद कोर्ट-कचहरी के झंझट से बचा सकती है।