New Rules for Rent – अगर आप अपना मकान किराए पर देते हैं या देने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने एक ऐसा नियम लागू कर दिया है जिससे छोटे मकान मालिकों को टैक्स में बड़ी राहत मिलेगी। अब तक 2.4 लाख रुपये सालाना किराया कमाने वालों को TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) का झंझट झेलना पड़ता था, लेकिन अब इस सीमा को सीधे 6 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी अब 50,000 रुपये तक का किराया आप हर महीने आराम से कमा सकते हैं, बिना कोई TDS कटवाए।
ये नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है और इसका फायदा लाखों मकान मालिकों को मिलेगा। आइए आपको पूरे आसान शब्दों में समझाते हैं कि ये नया नियम क्या है, किसे फायदा होगा और इससे क्या बदलाव आएंगे।
नया नियम क्या कहता है?
सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194-I में बदलाव किया है। पहले अगर आप सालाना 2.4 लाख रुपये से ज्यादा किराया कमाते थे, तो किरायेदार को TDS काटना पड़ता था। अब ये सीमा 6 लाख रुपये कर दी गई है। इसका मतलब है कि अगर आपका मासिक किराया 50,000 रुपये या उससे कम है, तो किरायेदार को TDS नहीं काटना होगा।
किसे मिलेगा फायदा?
- छोटे और मध्यम मकान मालिक – जो 30-40 या 50 हजार तक का मासिक किराया कमाते हैं, उन्हें अब टैक्स रिटर्न, TDS फॉर्म और कागजी झंझट से राहत मिलेगी।
- छोटे किरायेदार या स्टार्टअप्स – जो ऑफिस किराए पर लेते हैं, उनके लिए अब TDS कटौती की जरूरत नहीं होगी अगर किराया 50,000 रुपये से कम है।
- छात्रों या पीजी देने वाले मकान मालिक – अब हर महीने का TDS क्लेम करने का झंझट खत्म।
पुराना और नया नियम – एक नजर में
नियम | पहले | अब |
---|---|---|
सालाना TDS सीमा | ₹2.4 लाख | ₹6 लाख |
मासिक किराया सीमा | ₹20,000 | ₹50,000 |
लागू तिथि | – | 1 अप्रैल 2025 |
कब कटेगा TDS?
अगर आप किसी को मकान, दुकान, ऑफिस, जमीन या अन्य कोई प्रॉपर्टी किराए पर देते हैं और मासिक किराया ₹50,000 से ज्यादा है, तब किरायेदार को तय रेट पर TDS काटना होगा।
उदाहरण:
- अगर आप ₹45,000 प्रति माह किराया लेते हैं = सालाना ₹5.4 लाख → TDS नहीं कटेगा
- अगर आप ₹55,000 प्रति माह किराया लेते हैं = सालाना ₹6.6 लाख → TDS कटेगा
इससे क्या फायदा होगा?
- अनुपालन का बोझ घटेगा – छोटे मकान मालिकों को टैक्स फॉर्म, चालान और रिटर्न भरने से राहत मिलेगी।
- सरल और डिजिटल प्रक्रिया – अब TDS से जुड़ी प्रक्रिया कम लोगों पर लागू होगी जिससे टैक्स विभाग भी बड़े करदाताओं पर ज्यादा ध्यान दे पाएगा।
- रियल एस्टेट को मिलेगा बूस्ट – किराया देने वाले लोग अब TDS से बचने के लिए छोटे मकान या ऑफिस स्पेस किराए पर लेने में दिलचस्पी दिखाएंगे। इससे किराए की मांग बढ़ेगी।
क्या करना है मकान मालिक और किरायेदार को?
- मकान मालिक को अपने किरायेदार से शुरुआत में यह क्लियर करना होगा कि किराया TDS सीमा में आता है या नहीं।
- अगर किराया ₹50,000 से ज्यादा है तो किरायेदार को तय रेट पर हर महीने TDS काटकर सरकार को जमा करना होगा।
- दोनों को अपने रेंट एग्रीमेंट में TDS से जुड़े क्लॉज को साफ तौर पर लिखवाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।
रियल एस्टेट सेक्टर में क्या असर होगा?
इस नियम से मकान मालिकों में रेंटल इनकम बढ़ाने की होड़ नहीं लगेगी क्योंकि छोटे मकान मालिक TDS के दायरे से बाहर हो जाएंगे। वहीं, कम बजट में ऑफिस या दुकान किराए पर लेने वाले स्टार्टअप्स के लिए यह बड़ा सपोर्ट साबित होगा। इससे छोटे शहरों और टियर-2 शहरों में किराया बाजार में रौनक आ सकती है।
सरकार की सोच क्या है?
सरकार का उद्देश्य छोटे करदाताओं पर टैक्स का बोझ कम करना और टैक्स सिस्टम को आसान बनाना है। इसी कड़ी में ये फैसला लिया गया है। डिजिटल टैक्स फाइलिंग को आसान बनाने और लोगों को स्वयं टैक्स कंप्लायंस के लिए प्रेरित करने की दिशा में यह एक सही कदम है।
जरूरी बातें ध्यान रखें
- यह नियम सिर्फ किराये पर लागू है। अगर आप अन्य कोई भुगतान कर रहे हैं जैसे कंसल्टेंसी, प्रोफेशनल फीस आदि, तो वहां अलग TDS नियम लागू होंगे।
- अगर आपका मासिक किराया ₹50,000 से थोड़ा भी ज्यादा है, तो TDS अनिवार्य हो जाएगा।
- समय-समय पर नियमों में बदलाव हो सकता है, इसलिए अपडेट रहना जरूरी है।
अगर आप एक छोटा मकान मालिक हैं या किराये पर घर देने की सोच रहे हैं तो अब बिना किसी टैक्स झंझट के आराम से सालाना ₹6 लाख तक की कमाई कर सकते हैं। यह सरकार का बहुत ही स्वागत योग्य फैसला है जिससे न केवल टैक्स प्रणाली सरल होगी, बल्कि लाखों मध्यम वर्गीय भारतीयों को सीधा फायदा भी होगा।
इस बदलाव से न केवल आपकी जेब पर असर पड़ेगा बल्कि टैक्स के झमेले से भी राहत मिलेगी। अगर अभी तक आपने इस बारे में ध्यान नहीं दिया है, तो अब समय है जागरूक होने का।