Property Possession – अगर आपके पास कोई पुरानी प्रॉपर्टी है, चाहे वह जमीन हो या मकान, और आप उसे लंबे समय से ठीक से देखभाल नहीं कर रहे हैं, तो आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। क्योंकि हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया है जो प्रॉपर्टी के कब्जे के नियमों में बड़ा बदलाव लेकर आया है। इस फैसले के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति आपकी प्रॉपर्टी पर लगातार 12 साल तक बिना आपकी किसी आपत्ति के कब्जा जमाए रखता है, तो वह व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक भी बन सकता है। हाँ, आपने सही पढ़ा! इसका मतलब ये है कि कब्जाधारी भी कभी-कभी असली मालिक बन सकता है।
ये “Adverse Possession” क्या है?
कानून की भाषा में इस बात को “Adverse Possession” कहते हैं। इसका मतलब ये है कि अगर कोई शख्स किसी जमीन या मकान पर बिना किसी रोक-टोक और शांतिपूर्वक 12 साल तक कब्जा बनाए रखता है, और असली मालिक ने उस दौरान कोई शिकायत या विरोध नहीं किया, तो अदालत उस कब्जाधारी को प्रॉपर्टी का मालिक मान सकती है। यह नियम इसलिए बनाया गया ताकि लंबे समय तक बिना इस्तेमाल के पड़े कब्जे या विवादों को सुलझाया जा सके। यानी ऐसी प्रॉपर्टी जो कई सालों से मालिक के नियंत्रण में नहीं है, उसकी सही पहचान हो जाए।
किराएदार भी कर सकता है दावा?
आप सोच रहे होंगे कि क्या कोई किराएदार भी ऐसा कर सकता है? जी हाँ, अगर कोई किराएदार कई सालों से आपकी प्रॉपर्टी में रह रहा है और उसने अपना रेंट एग्रीमेंट रिन्यू नहीं कराया है, तो वह भी 12 साल के बाद उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। लेकिन इसके लिए उसे यह साबित करना होगा कि वह वहां मालिक की तरह रह रहा था। जैसे बिजली-पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद या प्रॉपर्टी डीड जैसी चीजें जो यह दिखाएं कि वह प्रॉपर्टी पर कब्जा बनाए हुए है और उस पर कोई आपत्ति नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या कहा था?
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अलग रुख अपनाया था। तब कोर्ट ने कहा था कि कब्जाधारी कोई भी स्थिति में प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता। लेकिन अब हाल ही में दो जजों की बेंच ने इस फैसले को पलट दिया है। अब कोर्ट मानता है कि अगर कोई शख्स 12 साल तक बिना रोक-टोक के जमीन पर कब्जा बनाए रखता है, तो उसे Adverse Possession का फायदा मिलना चाहिए। इसका मतलब है कि असली मालिक को उस जमीन को वापस पाने के लिए कोर्ट में जाकर मुकदमा लड़ना होगा।
लिमिटेशन एक्ट क्या कहता है?
भारत के लिमिटेशन एक्ट, 1963 के तहत प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाने वाले के लिए 12 साल का समय तय है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक जमीन पर कब्जा जमाए रखता है और मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो कब्जाधारी को मालिक माना जा सकता है। वहीं सरकारी जमीन की बात करें तो इस अवधि को 30 साल रखा गया है। यानि सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए बैठा कोई शख्स 30 साल बाद उस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता सकता है।
प्रॉपर्टी मालिकों के लिए ये फैसला खतरा है?
बिल्कुल, ये फैसला प्रॉपर्टी के असली मालिकों के लिए बहुत बड़ा अलर्ट है। अगर आप अपनी प्रॉपर्टी पर नजर नहीं रखेंगे, तो कोई और व्यक्ति आपके बिना विरोध के कब्जा जमाकर कानूनी रूप से उसका मालिक बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि मालिक अपनी जमीन या मकान पर समय-समय पर नजर रखें और अगर किसी तरह का कब्जा नजर आए तो तुरंत कानूनी कार्रवाई करें।
कब्जाधारी की मार से कैसे बचें?
- प्रॉपर्टी खाली न छोड़ें: अपनी जमीन या मकान को लंबे समय तक खाली न छोड़ें, क्योंकि खाली प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाना आसान होता है।
- समय-समय पर जांच: प्रॉपर्टी पर नियमित रूप से जाकर चेक करते रहें कि कोई कब्जाधारी तो नहीं है।
- रेंट एग्रीमेंट अपडेट करें: अगर प्रॉपर्टी किराए पर दी है, तो हर बार 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट जरूर बनाएं और इसे समय पर रिन्यू करें।
- बिल और टैक्स अपने नाम करें: बिजली-पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स जैसी चीजें अपने नाम पर रखें ताकि साबित कर सकें कि प्रॉपर्टी आपके नियंत्रण में है।
- कब्जा अस्थायी रखें: अगर किराएदार है तो उसका कब्जा अस्थायी रखें ताकि वह स्थायी मालिक न बन सके।
- कानूनी उपाय करें: अगर कब्जाधारी ने प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया है तो खुद से हटाने की कोशिश न करें, बल्कि कानूनी रास्ते अपनाएं।
कब्जाधारी को हटाना इतना आसान नहीं
अगर कोई व्यक्ति आपकी प्रॉपर्टी पर 12 साल से कब्जा बनाए हुए है और आपने इस दौरान कोई कानूनी कदम नहीं उठाया, तो उसे हटाना बहुत मुश्किल हो जाता है। आपको कोर्ट में जाकर यह साबित करना होगा कि वह कब्जा गलत था या आपने समय-समय पर विरोध जताया था। बिना कोर्ट के आदेश के कब्जाधारी को हटाना गैरकानूनी माना जाएगा।
कोर्ट में क्या सबूत जरूरी होंगे?
अगर मामला कोर्ट तक पहुंचता है, तो दोनों पक्षों से सख्त सबूत मांगे जाएंगे। कब्जाधारी को यह दिखाना होगा कि उसने 12 साल तक बिना किसी रोक-टोक के कब्जा बनाए रखा। वहीं मालिक को साबित करना होगा कि उसने कब्जे पर आपत्ति जताई थी या कब्जा अवैध था। केवल वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से मालिकाना हक साबित नहीं होगा। असली मालिक को मजबूत कानूनी दस्तावेज और कागजात लेकर आना होगा।
आगे क्या करें?
अगर आप चाहते हैं कि आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहे, तो उसे नजरअंदाज न करें। छोटी-छोटी सावधानियां ही आपको बड़े नुकसान से बचा सकती हैं। अपनी प्रॉपर्टी का नियमित निरीक्षण करें, जरूरी दस्तावेज अपने पास रखें और यदि कहीं कोई संदिग्ध कब्जा नजर आए तो तुरंत कानूनी सलाह लें। याद रखें, आपकी बेफिक्री आपकी प्रॉपर्टी से हाथ धोवा सकती है।
इस फैसले से सभी प्रॉपर्टी मालिकों के लिए ये स्पष्ट हो गया है कि अपनी संपत्ति पर नजर रखना और समय पर कार्रवाई करना कितना जरूरी है। कब्जाधारी के खिलाफ सही वक्त पर कदम न उठाने पर आपकी जमीन या मकान किसी और के नाम हो सकता है। इसलिए सतर्क रहें, और अपनी प्रॉपर्टी को लेकर हमेशा जागरूक रहें।