हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: EMI नहीं भर पाने वालों को अब नहीं सताएगा बैंक का डर! EMI Bounce

By Prerna Gupta

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EMI Bounce – अगर आपने लोन लिया है और किसी वजह से उसका भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो आपके लिए राहत भरी खबर है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसा अहम फैसला सुनाया है जिससे लाखों लोन धारकों को बड़ी राहत मिल सकती है। कोर्ट ने साफ कहा है कि पब्लिक सेक्टर बैंकों के पास लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। यानी अब कोई भी बैंक सिर्फ इसलिए आपकी विदेश यात्रा पर रोक नहीं लगा सकता कि आपने लोन नहीं चुकाया।

क्या है कोर्ट का फैसला?

बॉम्बे हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा कि बैंकों को ऐसे अधिकार नहीं दिए जा सकते जो केवल जांच एजेंसियों के पास होने चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस ऑफिस मेमोरेंडम को भी अवैध बताया जिसमें बैंकों के चेयरमैन को LOC जारी करने का अधिकार दिया गया था। यह फैसला उन तमाम लोगों के लिए राहत है जो आर्थिक तंगी के चलते लोन नहीं चुका पा रहे थे और LOC के डर से तनाव में थे।

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन क्यों माना गया?

कोर्ट ने ये भी कहा कि लोन न चुकाने की वजह से किसी को विदेश जाने से रोकना, भारत के संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। किसी भी नागरिक को देश के अंदर या बाहर जाने का अधिकार है और इसे सिर्फ सही कानूनी प्रक्रिया के जरिए ही रोका जा सकता है। सिर्फ डिफॉल्ट होना ऐसा कारण नहीं है कि किसी की मूवमेंट पर पाबंदी लगाई जाए।

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सरकार क्या कह रही थी?

सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि अगर कोई बड़ा लोन डिफॉल्टर विदेश भाग जाता है तो वो देश के लिए आर्थिक नुकसान होगा। इसलिए LOC जैसी सुविधा जरूरी है। लेकिन कोर्ट ने ये तर्क नहीं माना और कहा कि बिना ट्रायल या जांच सिर्फ शक के आधार पर किसी को विदेश जाने से नहीं रोका जा सकता।

बैंकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

अब बैंक केवल लोन न चुकाने पर LOC जारी नहीं कर पाएंगे। उन्हें रिकवरी के लिए दूसरे वैध और कानूनी रास्तों का सहारा लेना होगा जैसे कि SARFAESI Act, DRT (Debt Recovery Tribunal) या अन्य सिविल कोर्ट। इससे लोन रिकवरी का तरीका बदलेगा, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि लोन माफ हो गया। उधारी अब भी चुकानी होगी – फर्क सिर्फ इतना है कि अब वसूली प्रक्रिया ज़्यादा नियमों से बंधी होगी।

लोन लेने वालों के लिए क्या बदला?

इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी जो लोन लेकर किसी genuine कारण से EMI नहीं चुका पा रहे थे – जैसे नौकरी जाना, बीमारी, या अन्य आर्थिक मुश्किलें। उन्हें अब LOC का डर नहीं रहेगा और वो विदेश जा सकेंगे – चाहे काम के सिलसिले में हों, पढ़ाई के लिए या इलाज के लिए। कोर्ट ने साफ कहा कि लोन न चुकाना कोई क्रिमिनल एक्ट नहीं है, ये एक सिविल देनदारी है और इसका हल कानून के दायरे में ही निकाला जाना चाहिए।

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लेकिन राहत का मतलब छुट्टी नहीं है

ध्यान रहे कि ये फैसला आपको लोन चुकाने से आज़ाद नहीं करता। बैंक अब भी आपको डिफॉल्टर घोषित कर सकते हैं, आपके खिलाफ केस कर सकते हैं, आपकी प्रॉपर्टी जब्त कर सकते हैं और अगर जानबूझकर न चुकाया गया हो तो धोखाधड़ी के तहत आपराधिक कार्रवाई भी कर सकते हैं। कोर्ट ने सिर्फ LOC जैसे एक्सट्रीम स्टेप को रोका है, बाकी कानूनी रास्ते अब भी खुले हैं।

नतीजा

यह फैसला बैंकिंग सिस्टम और लोन लेने वालों – दोनों के लिए एक अहम मोड़ है। यह याद दिलाता है कि किसी की आज़ादी, चाहे वो विदेश यात्रा हो या कोई अन्य अधिकार, सिर्फ तयशुदा कानूनी प्रक्रिया के जरिए ही छीनी जा सकती है। इससे बैंकों को भी जिम्मेदारी से काम करना होगा और लोन लेने वालों को भी समय पर भुगतान के महत्व को समझना होगा।

Disclaimer:

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यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। आपकी व्यक्तिगत स्थिति अलग हो सकती है, इसलिए किसी भी लोन, बैंकिंग या कानूनी प्रक्रिया से पहले एक योग्य वकील या फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी है। कोर्ट के फैसले भविष्य में बदल सकते हैं या अन्य अदालतों के आदेशों से प्रभावित हो सकते हैं। कोई भी कार्रवाई करने से पहले आधिकारिक स्रोतों और सलाहकारों की राय ज़रूर लें।

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