Income Tax Rules – आजकल हर कोई अपनी सैलरी या कमाई का कुछ हिस्सा सेविंग अकाउंट में जमा करता है। ये तो अब एक आम आदत बन चुकी है। लेकिन कई लोगों को ये चिंता सताती रहती है कि सेविंग अकाउंट में कितना पैसा रखना सही है ताकि इनकम टैक्स विभाग की नजर न पड़े। कहीं ऐसा न हो कि ज्यादा ट्रांजेक्शन की वजह से नोटिस आ जाए।
अगर आपके भी मन में ऐसे सवाल हैं तो ये लेख आपके लिए है। हम यहां आसान भाषा में समझा रहे हैं कि सेविंग अकाउंट से जुड़ी इनकम टैक्स की क्या गाइडलाइंस हैं, कितने खाते होना सही है और किन बातों का ध्यान रखकर आप टैक्स नोटिस से बच सकते हैं।
कितने सेविंग अकाउंट रखना है लीगल?
सबसे पहले ये जान लें कि भारत के इनकम टैक्स कानून में कहीं भी ये नहीं लिखा गया है कि आप सिर्फ एक या दो सेविंग अकाउंट ही रख सकते हैं। आप चाहे तो दस भी खोल लीजिए, कोई दिक्कत नहीं। चाहें तो एक ही बैंक में मल्टीपल अकाउंट रखें या अलग-अलग बैंकों में।
इनकम टैक्स विभाग को इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके कितने खाते हैं। फर्क पड़ता है कि उनमें कितना पैसा आ-जा रहा है और उस पैसे का सोर्स क्या है। अगर आप हर ट्रांजेक्शन का हिसाब रखते हैं और आपकी आमदनी वैध है, तो चिंता की कोई बात नहीं है।
सेविंग अकाउंट में कितनी रकम रखना सही?
टेक्निकली कहें तो सेविंग अकाउंट में पैसा रखने की कोई लिमिट नहीं है। आप चाहे तो 1 लाख रखें, चाहे 1 करोड़ – बैंक मना नहीं करेगा और कानून भी नहीं। लेकिन ध्यान ये रखना है कि उस पैसे का वैध स्रोत होना चाहिए।
अगर आपने जो पैसा बैंक में डाला है, वो आपकी सैलरी, बिजनेस इनकम, गिफ्ट या किसी और वैध तरीके से आया है और आप उस पर टैक्स भी भर रहे हैं, तो फिर डरने की कोई वजह नहीं है।
नकद लेनदेन पर रखें नज़र
अब बात करते हैं उस हिस्से की जो इनकम टैक्स विभाग को अलर्ट कर देता है – कैश ट्रांजेक्शन। अगर आपने एक फाइनेंशियल ईयर में (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) अपने सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा नकद जमा किए हैं या निकाले हैं, तो बैंक खुद-ब-खुद इसकी रिपोर्ट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेज देता है।
यह एक बार में नहीं, बल्कि साल भर के टोटल पर लागू होता है। मतलब अगर आपने 1 लाख-1 लाख करके 10 बार पैसे जमा किए, तो भी ये लिमिट क्रॉस हो जाती है।
एक बार में कैश लेनदेन की लिमिट
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, अगर आप एक बार में 2 लाख या उससे ज्यादा की नकद ट्रांजेक्शन करते हैं – चाहे जमा हो या निकासी – तो बैंक उस पर भी नजर रखता है और इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्ट कर सकता है।
इसलिए अगर आपको कोई बड़ा ट्रांजेक्शन करना है तो कोशिश करें कि वो चेक, NEFT, RTGS या UPI जैसे डिजिटल माध्यम से करें।
आयकर विभाग को आपकी जानकारी कैसे मिलती है?
अगर आपके बैंक अकाउंट से PAN कार्ड लिंक है (जो आजकल लगभग सभी से होता है), तो बैंक आपके बड़े ट्रांजेक्शन की जानकारी सीधे इनकम टैक्स पोर्टल पर भेज देता है। अगर PAN लिंक नहीं भी है, तब भी बैंक को नियमों के तहत 10 लाख से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट देनी ही पड़ती है।
ये नियम सभी बैंकों – सरकारी, प्राइवेट, को-ऑपरेटिव और पोस्ट ऑफिस – सब पर लागू होता है।
चालू खाता (Current Account) वालों के लिए नियम अलग
अगर आप बिजनेस करते हैं और आपका चालू खाता है तो आपको थोड़ा आराम है। चालू खाते के लिए ये लिमिट 50 लाख रुपये सालाना है। यानी एक फाइनेंशियल ईयर में 50 लाख तक का नकद लेनदेन मान्य है, लेकिन इससे ज्यादा पर रिपोर्टिंग जरूरी हो जाती है।
इसके अलावा अगर आप बैंक ड्राफ्ट या पे ऑर्डर जैसे किसी माध्यम से भी 10 लाख से ज्यादा नकद खर्च करते हैं, तो उसका भी रिकॉर्ड इनकम टैक्स विभाग के पास पहुंचता है।
टैक्स नोटिस से बचने के कुछ आसान उपाय
- अपने सभी बैंक खातों की जानकारी ITR में सही-सही दें।
- हर खाते से PAN कार्ड लिंक होना चाहिए।
- जितना हो सके उतना डिजिटल ट्रांजेक्शन करें।
- कैश का इस्तेमाल कम करें।
- हर फाइनेंशियल ईयर में अपनी इनकम और खर्चों का रिकॉर्ड रखें।
- अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में आती है तो ITR समय पर भरें।
सेविंग अकाउंट में पैसा रखना या एक से ज्यादा अकाउंट खोलना कोई जुर्म नहीं है। बस जरूरी है कि आप अपने पैसों का सही उपयोग करें, टैक्स नियमों का पालन करें और अनावश्यक कैश लेनदेन से बचें। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन्हीं पर सख्ती दिखाता है जिनके लेनदेन संदिग्ध लगते हैं या जिनकी इनकम डिक्लेयर नहीं होती।
तो अगर आप पारदर्शी तरीके से बैंकिंग करते हैं, टैक्स भरते हैं और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देते हैं, तो किसी भी नोटिस या जुर्माने की कोई टेंशन नहीं होनी चाहिए।