New Labour Code 2025 – अब सोचिए, सोमवार से गुरुवार तक थोड़ा-सा ज्यादा काम कर लीजिए और फिर शुक्रवार, शनिवार और रविवार पूरे तीन दिन आराम। न बॉस की कॉल, न किसी मीटिंग का टेंशन। ये सिर्फ सपना नहीं है, बल्कि हकीकत बनने जा रही है साल 2025 से। जी हां, केंद्र सरकार का नया Labour Code 2025 काम करने के तरीके में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है।
क्या है ये नया लेबर कोड?
सरकार का मकसद साफ है – लोगों को एक बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस देना। आजकल हर कोई भाग-दौड़ में लगा है। सुबह से शाम तक ऑफिस और फिर घर की जिम्मेदारियां। न खुद के लिए टाइम मिलता है और न ही परिवार के लिए। ऐसे में नया लेबर कोड कहता है – काम के दिन घटाओ लेकिन काम का वक्त वही रहना चाहिए। यानी 4 दिन काम और 12 घंटे की शिफ्ट, ताकि हफ्ते के 48 घंटे पूरे हो जाएं, और फिर बाकी के 3 दिन फुल ऑन छुट्टी।
क्या ये हर किसी के लिए होगा?
अब यहां एक बात साफ समझ लीजिए – ये कोई जबरदस्ती का नियम नहीं है। हर कंपनी पर इसे लागू करना जरूरी नहीं होगा। ये पूरी तरह से कंपनी और कर्मचारियों की आपसी सहमति पर आधारित रहेगा। मतलब अगर कोई कर्मचारी चाहे कि वो 6 दिन 8-8 घंटे काम करे तो वो भी संभव है, लेकिन अगर कोई चार दिन में काम निपटा लेना चाहता है, तो उसके लिए भी रास्ता खुला रहेगा।
किन लोगों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?
आईटी सेक्टर, बीपीओ, बैंकिंग, मीडिया और बाकी वो पेशे जहां काम स्क्रीन पर या लैपटॉप से होता है – उनके लिए ये नई व्यवस्था गेम चेंजर साबित हो सकती है। लगातार कंप्यूटर के सामने बैठना, आंखों की थकान, माइग्रेन, तनाव – ये सब आम हो गया है। ऐसे में तीन दिन का लंबा ब्रेक लोगों को रिचार्ज करने का मौका देगा।
कई कंपनियां कर चुकी हैं ट्रायल शुरू
कुछ निजी कंपनियों ने तो इस फॉर्मूले को पायलट बेसिस पर लागू करना शुरू भी कर दिया है। एक बैंक में काम करने वाले राहुल बताते हैं कि उनकी कंपनी में 4 दिन का काम और 3 दिन की छुट्टी वाला सिस्टम आ गया है। अब वे परिवार को ज्यादा समय दे पा रहे हैं। वहीं, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोनाली का कहना है कि माइग्रेन की जो दिक्कत पहले होती थी, अब वो काफी हद तक कम हो गई है।
क्या सैलरी पर पड़ेगा असर?
बिलकुल नहीं। अगर आप पूरे 48 घंटे काम कर रहे हैं तो आपकी सैलरी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चाहे आप हफ्ते में 6 दिन 8-8 घंटे काम करें या फिर 4 दिन 12-12 घंटे – बस काम के कुल घंटे पूरे होने चाहिए। तो सैलरी कटने की चिंता भूल जाइए।
नए लेबर कोड में और क्या-क्या बदलाव होंगे?
सिर्फ छुट्टियों और वर्किंग डेज़ में ही नहीं, नया लेबर कोड कई और अहम बदलाव भी लेकर आ रहा है:
- सैलरी स्ट्रक्चर में सुधार – बेसिक सैलरी अब आपके कुल वेतन का कम से कम 50% होनी चाहिए।
- पीएफ और ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी – बेसिक सैलरी बढ़ेगी तो PF और ग्रेच्युटी का हिस्सा भी अपने आप बढ़ जाएगा।
- ओवरटाइम पर नियम – 12 घंटे से ज्यादा काम करने पर ओवरटाइम का क्लियर नियम होगा।
- लीव पॉलिसी में बदलाव – सालाना छुट्टियों के नियमों में और लचीलापन आएगा।
- फिक्स्ड टर्म जॉब – कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करने वालों को भी स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
- महिला सुरक्षा को प्राथमिकता – महिलाएं अब नाइट शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी, बशर्ते कंपनी उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम करे।
- गिग वर्कर्स और फ्रीलांसरों को भी राहत – इनके लिए भी EPFO जैसी सोशल सिक्योरिटी की व्यवस्था की जाएगी।
क्या सालाना छुट्टियों की संख्या में कटौती होगी?
अभी के लिए ऐसा कोई नियम नहीं आया है कि आपकी सालाना लीव कम कर दी जाएगी। हां, हफ्ते में मिलने वाली छुट्टियों को लेकर थोड़ी फ्लेक्सिबिलिटी जरूर बढ़ेगी। मतलब अब साप्ताहिक छुट्टियों का मैनेजमेंट आप अपनी सुविधा के हिसाब से कर पाएंगे।
नया सिस्टम काम करने का तरीका कैसे बदलेगा?
अब धीरे-धीरे कंपनियां स्मार्ट वर्किंग मॉडल की तरफ बढ़ेंगी। फोकस होगा काम की क्वालिटी पर, न कि कितने घंटे कुर्सी पर बैठे रहे। वर्क फ्रॉम होम, फ्लेक्सी टाइमिंग और आउटपुट बेस्ड जॉब कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।
2025 का New Labour Code सिर्फ एक सरकारी नीति नहीं बल्कि एक सोच है – जहां कर्मचारी को समय मिले खुद के लिए, अपने परिवार के लिए और जीवन को बेहतर बनाने के लिए। जब कर्मचारी खुश होगा, संतुलित होगा, तभी वो अपने काम में बेस्ट दे पाएगा। और जब कंपनी को खुश और हेल्दी वर्कफोर्स मिलेगी, तो उसका बिजनेस भी तेजी से आगे बढ़ेगा।
तो तैयार हो जाइए – नया साल, नया नियम, और एक नया वर्किंग कल्चर आपका इंतजार कर रहा है!
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