Old Pension Scheme – कई सालों से शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग रही है – पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी। आखिरकार लंबे संघर्ष और कोर्ट-कचहरी के बाद अब कुछ राज्यों में इस दिशा में बड़ा फैसला लिया गया है। यह न सिर्फ शिक्षकों के लिए राहत की खबर है, बल्कि उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए एक ठोस कदम भी है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस फैसले से किसे क्या फायदा होगा और कौन-कौन से शिक्षक इसमें शामिल होंगे।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) क्या है?
OPS यानी Old Pension Scheme, वो योजना है जिसमें रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन दी जाती है। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा गारंटीड होती है और इसमें कोई जोखिम नहीं होता।
इस योजना की खास बातें:
- रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का लगभग 50% पेंशन के रूप में मिलता है।
- पेंशन में समय-समय पर महंगाई भत्ता (DA) भी जुड़ता है।
- कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार को भी पेंशन का लाभ मिलता है।
- पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती है, कोई निवेश या मार्केट रिस्क नहीं।
OPS कब बंद हुई थी?
1 जनवरी 2004 से केंद्र सरकार ने OPS को बंद कर दिया था और उसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई थी। इसमें पेंशन राशि बाजार आधारित होती है, यानी कि शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड के रिटर्न पर निर्भर होती है। साथ ही, इसमें सरकार की गारंटी नहीं होती, जिससे कई कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
किन शिक्षकों को मिलेगा OPS का लाभ?
इस बार सरकार ने उन शिक्षकों को OPS में शामिल करने का फैसला किया है जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 से पहले हुई थी, लेकिन बाद में किसी तकनीकी वजह से उन्हें NPS में डाल दिया गया था।
1. 2004 से पहले नियुक्त शिक्षक:
- जो शिक्षक 2004 से पहले सरकारी सेवा में आ चुके थे लेकिन गलती से NPS में शामिल कर दिए गए थे।
- अब उन्हें फिर से OPS में शामिल किया जा रहा है।
2. कोर्ट केस जीतने वाले शिक्षक:
- कई शिक्षकों ने NPS के खिलाफ कोर्ट में केस किया था।
- हाल ही में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है।
- अब उन शिक्षकों को भी OPS का लाभ मिलेगा।
3. राज्य सरकार के फैसले से लाभ पाने वाले शिक्षक:
राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों की सरकारों ने पहले ही OPS को लागू कर दिया है। यहां के शिक्षक अब सीधे इस योजना का फायदा उठा रहे हैं।
OPS और NPS में क्या है बड़ा फर्क?
विशेषता | पुरानी पेंशन योजना (OPS) | नई पेंशन योजना (NPS) |
---|---|---|
पेंशन राशि | निश्चित, अंतिम वेतन के आधार पर | बाजार आधारित, गारंटी नहीं |
जोखिम | नहीं है | शेयर मार्केट पर निर्भर |
महंगाई भत्ता | मिलता है | नहीं मिलता |
पारिवारिक लाभ | हां, परिवार को पेंशन मिलती है | सीमित लाभ |
गारंटी | सरकार की ओर से पूरी गारंटी | कोई गारंटी नहीं |
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में जबरदस्त उत्साह है। कई सालों से वे धरना, प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। अब जब फैसला उनके पक्ष में आया है, तो उनके चेहरे पर संतोष साफ देखा जा सकता है।
सीमा शर्मा, उत्तर प्रदेश की एक सरकारी शिक्षिका कहती हैं:
“मैं 2002 में नियुक्त हुई थी, लेकिन गलती से मुझे NPS में डाल दिया गया। अब OPS में वापसी से मेरी सारी चिंता खत्म हो गई है।”
रमेश राठी, राजस्थान से:
“राज्य सरकार का यह फैसला वाकई सराहनीय है। अब कम से कम रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।”
केंद्र सरकार का क्या रुख है?
केंद्र सरकार अभी भी OPS को दोबारा लागू करने के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है कि यह देश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा बोझ डालेगा और भविष्य में वित्तीय असंतुलन पैदा हो सकता है। हालांकि, सरकार एक हाइब्रिड मॉडल पर विचार कर रही है जिसमें NPS में कुछ गारंटीड पेंशन भी जोड़ी जा सकती है, लेकिन फिलहाल यह केवल एक प्रस्ताव भर है।
पुरानी पेंशन योजना के फायदे
- वित्तीय सुरक्षा: उम्र भर की मेहनत का स्थायी इनाम।
- मानसिक शांति: रिटायरमेंट के बाद नियमित आमदनी की गारंटी।
- महंगाई से राहत: DA के साथ पेंशन बढ़ती रहती है।
- पारिवारिक सुरक्षा: मौत के बाद भी परिवार को पेंशन का लाभ।
- बिना जोखिम: शेयर बाजार की उठापटक से पूरी तरह दूर।
पुरानी पेंशन योजना की वापसी केवल एक आर्थिक फैसला नहीं है, यह लाखों शिक्षकों की उम्मीद और संघर्ष की जीत है। यह एक ऐसा भरोसा है जिसे सरकार ने बहाल किया है। अब उम्मीद यही है कि बाकी राज्य भी इस फैसले से प्रेरणा लेकर OPS को फिर से लागू करेंगे।