रजिस्ट्री कराने के बाद भी प्रॉपर्टी नहीं होगी आपकी! जानिए कौन सा दस्तावेज़ है सबसे जरूरी – Property Documents

By Prerna Gupta

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Property Documents – जब भी हम कोई जमीन या मकान खरीदते हैं, तो सबसे पहला काम होता है उसकी रजिस्ट्री कराना। रजिस्ट्री हो जाने के बाद हमें लगता है कि अब हम प्रॉपर्टी के कानूनी मालिक बन गए हैं और सारी परेशानियां खत्म हो गईं। लेकिन हकीकत यह है कि रजिस्ट्री सिर्फ एक प्रक्रिया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि प्रॉपर्टी का ट्रांसफर हुआ है। असली मालिकाना हक पाना इसके बाद भी थोड़ा जटिल होता है। आज हम इसी बात को आसान भाषा में समझेंगे कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद भी किन-किन दस्तावेजों और प्रक्रियाओं से गुजरना जरूरी होता है, ताकि आपको सच में वो संपत्ति के मालिक का दर्जा मिले और भविष्य में कोई झंझट न हो।

रजिस्ट्री कराने का मतलब क्या होता है?

भारत में जब भी कोई जमीन या मकान खरीदते हैं जिसकी कीमत 100 रुपये से ज्यादा हो, तो भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत उसकी रजिस्ट्री करवाना जरूरी है। इसका मतलब है कि प्रॉपर्टी का एक लिखित दस्तावेज बनता है और उसे सरकारी सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज किया जाता है। इससे यह कानूनी तौर पर साबित होता है कि प्रॉपर्टी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम ट्रांसफर हुई है। लेकिन केवल रजिस्ट्री करवाना ही प्रॉपर्टी का पूरा मालिकाना हक देने के लिए काफी नहीं होता।

म्यूटेशन क्यों है जरूरी?

म्यूटेशन एक ऐसा दस्तावेजी और प्रशासनिक प्रोसेस है, जिससे प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड में आपके नाम का आधिकारिक रूप से उल्लेख होता है। इसका मतलब यह है कि प्रॉपर्टी की सरकारी रिकॉर्ड्स में जो मालिक का नाम दर्ज होता है, उसे पुराने मालिक से बदलकर आपका नाम कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को दाखिल-खारिज या नामांतरण भी कहा जाता है। बिना म्यूटेशन के, सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी अभी भी पुराने मालिक के नाम पर रहेगी, और इसका मतलब है कि आपको उस प्रॉपर्टी के मालिक का अधिकार कानूनी तौर पर पूरी तरह से नहीं मिला।

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म्यूटेशन न करवाने के नुकसान

  • टैक्स की समस्या: प्रॉपर्टी टैक्स नोटिस पुराने मालिक के नाम पर जारी होंगे, आपको टैक्स के लिए नोटिस नहीं आएंगे, जिससे आगे चलकर टैक्स जमा करने में दिक्कत हो सकती है।
  • कानूनी झंझट: अगर आप भविष्य में प्रॉपर्टी बेचना चाहें और आपका नाम म्यूटेशन में न हो तो आपको कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।
  • पुरानी देनदारी का खतरा: अगर पुराने मालिक पर कोई लोन या कर्ज है, तो वह विवाद सीधे आपकी प्रॉपर्टी को भी प्रभावित कर सकता है।
  • प्रॉपर्टी पर विवाद: कई बार बिना म्यूटेशन के प्रॉपर्टी पर किसी तीसरे पक्ष का दावा भी आ सकता है, जिससे आपको कोर्ट-कचहरी का सामना करना पड़ सकता है।

म्यूटेशन कैसे करवाएं?

म्यूटेशन करवाने के लिए आपको अपने स्थानीय नगर निगम, पंचायत या राजस्व विभाग में आवेदन देना होता है। इसके साथ आपको ये दस्तावेज जमा करने होते हैं:

  • प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की कॉपी
  • बिक्री/खरीद का अनुबंध
  • स्टांप ड्यूटी भुगतान की रसीद
  • पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी आदि
  • कभी-कभी पासपोर्ट साइज फोटो भी मांगा जाता है

आवेदन के बाद संबंधित अधिकारी आपके दस्तावेजों की जांच करता है, और सही पाए जाने पर आपके नाम से म्यूटेशन कर दिया जाता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको एक म्यूटेशन प्रमाण पत्र या पावती भी मिलती है।

प्रॉपर्टी खरीदते समय और क्या सावधानियां रखें?

  • प्रॉपर्टी का पूरा इतिहास जानें: प्रॉपर्टी पर पहले कोई विवाद या लोन तो नहीं है, यह जांचना बेहद जरूरी है।
  • कई बार धोखाधड़ी से बचाव: कुछ मामले ऐसे होते हैं जहां एक ही प्रॉपर्टी को कई लोगों को बेचा जाता है। ऐसे में सावधानी से जांच करना जरूरी है।
  • दस्तावेजों की वैधता जांचें: रजिस्ट्री, म्यूटेशन, खरीद-बिक्री के कागजात, लोन का क्लियरेंस आदि की पुष्टि करें।
  • रजिस्ट्री के साथ म्यूटेशन भी करें: यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम हो और आप कानूनी रूप से मालिक बनें।

रजिस्ट्री और म्यूटेशन में फर्क समझिए

  • रजिस्ट्री: यह कानूनी दस्तावेज है जो प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को साबित करता है। इसमें प्रॉपर्टी का कागज सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज होता है।
  • म्यूटेशन: यह सरकारी रिकॉर्ड में नामांतरण की प्रक्रिया है, जिससे आपकी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दिखाया जाता है।

तो दोस्तों, जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदें, तो रजिस्ट्री कराने के बाद म्यूटेशन करवाना न भूलें। सिर्फ रजिस्ट्री से आपको प्रॉपर्टी का पूरा मालिकाना हक नहीं मिलता, बल्कि म्यूटेशन के जरिए ही सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज होता है और आपको कानून के मुताबिक प्रॉपर्टी का पूरा अधिकार मिलता है। इसके बिना आप कई तरह की कानूनी परेशानियों में फंस सकते हैं। इसलिए सावधानी से काम लें, पूरी जांच-पड़ताल करें और रजिस्ट्री के साथ-साथ म्यूटेशन भी समय रहते करवाएं।

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