Property Registration – जब हम प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते हैं, तो सबसे ज़रूरी सवाल यही उठता है कि आखिर प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है? अक्सर लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री का होना ही मालिकाना हक साबित कर देता है, लेकिन असल में यह बात पूरी तरह सही नहीं है। 2025 में भी कई लोग इस मामले में बड़ी गलती कर देते हैं और इसी वजह से भविष्य में उन्हें कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि प्रॉपर्टी के असली मालिक का फैसला किस दस्तावेज़ से होता है और किन दस्तावेज़ों का होना ज़रूरी है।
प्रॉपर्टी के असली मालिक का दस्तावेज़ कौन सा है?
सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि प्रॉपर्टी का असली मालिक बनने के लिए सिर्फ रजिस्ट्री करना ही काफी नहीं होता। रजिस्ट्री एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो प्रॉपर्टी के स्वामित्व को सरकारी तौर पर मान्यता देता है, लेकिन असली मालिक बनने के लिए और भी दस्तावेज़ ज़रूरी होते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है म्यूटेशन सर्टिफिकेट।
म्यूटेशन सर्टिफिकेट क्या है?
म्यूटेशन सर्टिफिकेट वह दस्तावेज़ है जो स्थानीय राजस्व विभाग द्वारा जारी किया जाता है। यह दर्शाता है कि प्रॉपर्टी का मालिक कौन है और सरकारी रिकॉर्ड में नाम किसके नाम दर्ज है। यानि कि जब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो जाती है, तो आपको म्यूटेशन करवाना पड़ता है ताकि आपका नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। इस दस्तावेज़ के बिना प्रॉपर्टी के मालिक होने का दावा करना मुश्किल होता है।
प्रॉपर्टी के मालिक बनने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ ज़रूरी हैं?
जब प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो कई जरूरी दस्तावेज़ होते हैं, जो यह साबित करते हैं कि प्रॉपर्टी सही तरीके से ट्रांसफर हुई है। आइए देखते हैं सबसे अहम दस्तावेज़:
- सेल डीड (Sale Deed): यह सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो प्रॉपर्टी के विक्रेता से खरीदार को स्वामित्व हस्तांतरित होने को दर्शाता है। इसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड किया जाता है।
- म्यूटेशन सर्टिफिकेट: जैसा कि ऊपर बताया, यह सरकारी रिकॉर्ड में स्वामित्व बदलने का सबूत है।
- इनकम टैक्स रिटर्न (ITR): प्रॉपर्टी से संबंधित आय की पुष्टि के लिए जरूरी।
- इलेक्ट्रिसिटी बिल: प्रॉपर्टी के पते का प्रमाण।
- कंस्ट्रक्शन प्लान: अगर प्रॉपर्टी पर निर्माण हुआ है तो उसका वैध प्रमाण।
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC): स्थानीय अथॉरिटी से प्राप्त यह दस्तावेज़ यह सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी या अन्य बाधा नहीं है।
प्रॉपर्टी दस्तावेज़ों की जांच क्यों जरूरी है?
जब भी आप कोई प्रॉपर्टी खरीदें या बेचें, तो यह बेहद ज़रूरी है कि आप सारे दस्तावेज़ों की पूरी जांच करें। गलत या अधूरा दस्तावेज़ भविष्य में बहुत बड़ी दिक्कतें दे सकता है। कई बार लोग केवल रजिस्ट्री पर ही भरोसा कर लेते हैं, जबकि म्यूटेशन न होने के कारण वे प्रॉपर्टी के असली मालिक नहीं बन पाते।
प्रॉपर्टी दस्तावेज़ों की जांच के तरीके
- रेजिस्ट्री ऑफिस में सत्यापन: रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर सेल डीड और दूसरे दस्तावेज़ों का सत्यापन करवा लें।
- वकील से कानूनी सलाह: किसी भरोसेमंद वकील से दस्तावेज़ों की जांच करवाएं ताकि कोई कानूनी कमी न रह जाए।
- प्रॉपर्टी टैक्स रसीद देखें: प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान सही से हो रहा है या नहीं, यह जांचना भी ज़रूरी होता है।
- बैंक के लोन दस्तावेज़ जांचें: अगर प्रॉपर्टी पर कोई लोन है तो उसके दस्तावेज़ों को समझना भी जरूरी है।
प्रॉपर्टी दस्तावेज़ों का सही प्रबंधन कैसे करें?
दस्तावेज़ों को सही तरीके से रखना और उनकी देखभाल करना भी बहुत ज़रूरी है। नीचे कुछ तरीके बताए जा रहे हैं:
- सुरक्षित जगह पर रखें: दस्तावेज़ों को सुरक्षित और गीली-धूप से बचाकर रखें।
- डिजिटल कॉपी बनाएं: दस्तावेज़ों की स्कैन कॉपी बनाकर अपने फोन या कंप्यूटर में सेव कर लें।
- वकील से सलाह लें: दस्तावेज़ों को समझने और किसी भी संशय को दूर करने के लिए पेशेवर सलाह लें।
- बीमा करवाएं: महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों के लिए बीमा करवाना भी फायदे का सौदा हो सकता है।
- नियमित अपडेट रखें: प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज़ों की जानकारी समय-समय पर अपडेट करते रहें।
2025 में भी कई लोग यह बड़ी गलती करते हैं कि वे सिर्फ रजिस्ट्री पर ही भरोसा कर लेते हैं और बाकी जरूरी दस्तावेज़ों को नजरअंदाज कर देते हैं। याद रखें कि असली मालिक वही होता है जिसका नाम सरकारी रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज हो। इसलिए, प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते समय सेल डीड, म्यूटेशन सर्टिफिकेट और अन्य जरूरी दस्तावेज़ों की पूरी जांच करें। साथ ही, दस्तावेज़ों को संभालकर रखें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की कानूनी समस्या से बचा जा सके।
इसलिए प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को लेकर कभी भी कोई रिस्क न लें। सही दस्तावेज़ों का होना और उनका सही प्रबंधन आपके लिए सुरक्षा की गारंटी है।