Saving Account Rule – आजकल बैंक अकाउंट हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे सैलरी लेनी हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो या फिर सरकारी सब्सिडी लेनी हो – बैंक खाता ज़रूरी है। लेकिन बहुत से लोग ये सोचते हैं कि क्या हम एक से ज्यादा सेविंग अकाउंट रख सकते हैं? और अगर रख सकते हैं तो क्या कोई दिक्कत होगी? चलिए इस आर्टिकल में हम इसी पर बात करते हैं – बिल्कुल आसान और कैजुअल टोन में।
एक से ज्यादा बैंक खाते रखने की छूट – RBI का क्या कहना है?
आपको जानकर राहत मिलेगी कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक व्यक्ति के बैंक खाते की संख्या पर कोई सीमा तय नहीं की है। यानी आप अपनी सुविधा के अनुसार जितने चाहें उतने सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट खोल सकते हैं।
मतलब अगर आपके पास SBI, HDFC, ICICI, और Axis बैंक में चार सेविंग अकाउंट हैं, तो वो पूरी तरह से वैध है। लेकिन जहां छूट है, वहीं कुछ ज़िम्मेदारियां भी हैं।
सेविंग अकाउंट क्यों होता है जरूरी?
भारत में सेविंग अकाउंट हर आम आदमी की पहली पसंद होता है क्योंकि:
- इसमें ब्याज भी मिलता है (लगभग 3% से 7% तक)
- ATM और नेटबैंकिंग जैसी सुविधाएं मिलती हैं
- सब्सिडी, पेंशन, सैलरी जैसी सरकारी या प्राइवेट रकम सीधे खाते में आती है
- पैसे निकालना और जमा करना आसान होता है
कितने टाइप के बैंक अकाउंट हो सकते हैं?
अब बात करते हैं कि बैंक अकाउंट कितने तरह के होते हैं और किसके लिए कौन-सा सही है।
1. Saving Account (बचत खाता)
- आम लोगों के लिए
- ब्याज मिलता है
- डेबिट कार्ड, UPI, नेटबैंकिंग जैसी सुविधाएं
2. Current Account (करंट अकाउंट)
- बिजनेस वालों के लिए
- कोई ब्याज नहीं लेकिन ट्रांजैक्शन लिमिट ज्यादा
- ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी मिल सकती है
3. Salary Account (सैलरी खाता)
- नौकरीपेशा लोगों के लिए
- ज़ीरो बैलेंस की सुविधा
- कई बार फ्री डेबिट कार्ड, लोन पर छूट जैसी सुविधाएं
4. Joint Account (संयुक्त खाता)
- दो या ज्यादा लोग मिलकर चला सकते हैं
- खासतौर पर पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चे या बिजनेस पार्टनर्स के बीच
क्या एक से ज्यादा सेविंग अकाउंट रखना सही है?
अगर आप सोच रहे हैं कि क्या 3–4 सेविंग अकाउंट रखना अच्छा आइडिया है, तो जवाब है हाँ – लेकिन समझदारी से। कुछ लोगों के लिए ये फायदे का सौदा है:
- अलग-अलग अकाउंट को अलग खर्चों के लिए इस्तेमाल करना
- एक अकाउंट सिर्फ सेविंग के लिए रखना
- किसी बैंक की खास स्कीम या ऑफर का फायदा उठाना
- बिजनेस और पर्सनल खर्चों को अलग रखना
लेकिन ज़्यादा अकाउंट में दिक्कतें भी हैं
जहां फायदे हैं, वहां कुछ तकलीफें भी हैं। अगर आपने कई सेविंग अकाउंट खोल लिए हैं तो इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है:
न्यूनतम बैलेंस रखना पड़ेगा – हर बैंक का अलग मिनिमम बैलेंस होता है। अगर आप उसे मेंटेन नहीं करते तो पेनल्टी लग सकती है।
ब्याज पर TDS कट सकता है – अगर सभी खातों से सालाना ₹40,000 (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000) से ज्यादा ब्याज मिलता है तो TDS कटेगा।
स्लो ट्रैकिंग और मैनेजमेंट – बहुत से अकाउंट को संभालना मुश्किल हो जाता है। स्टेटमेंट चेक करना, अपडेट्स देखना – समय और ध्यान दोनों लगता है।
इनएक्टिव अकाउंट पर चार्ज – कई बार जो अकाउंट इस्तेमाल नहीं होते, वे इनएक्टिव हो जाते हैं और उस पर भी बैंक चार्ज वसूल सकता है।
सावधानी से करें अकाउंट का चयन
कई अकाउंट खोलना गलत नहीं है लेकिन ये तभी फायदेमंद है जब आप उन्हें मैनेज कर पाएं। इसलिए:
- सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही नया अकाउंट खोलें
- पुराने और न इस्तेमाल हो रहे खातों को बंद करा दें
- हर बैंक के चार्ज और फी को समझें
- सालाना ब्याज पर नजर रखें
- अपने सभी बैंक खातों की जानकारी ITR और अन्य दस्तावेजों में अपडेट रखें
डिजिटल बैंकिंग ने आसान बना दिया है सबकुछ
आजकल आप घर बैठे FD खोल सकते हैं, खाता चेक कर सकते हैं, पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं – सब कुछ मोबाइल ऐप या नेट बैंकिंग से। तो अगर आपके पास कई खाते हैं, तो इन्हें ऑनलाइन मैनेज करना ज्यादा आसान हो जाता है।
Pro Tip: आप UPI ऐप (जैसे PhonePe, GPay, Paytm) में अपने सभी बैंक अकाउंट को जोड़कर उन्हें एक ही जगह से ऑपरेट कर सकते हैं।
- आप जितने चाहें उतने बैंक खाते रख सकते हैं
- लेकिन उनका सही प्रबंधन ज़रूरी है
- जरूरत से ज्यादा खाता खुलवाने से बेहतर है 2–3 ही रखें लेकिन स्मार्टली इस्तेमाल करें
- सैलरी, सेविंग और निवेश – हर जरूरत के लिए अलग खाता रखें तो ट्रैकिंग आसान होती है
- और हां, कभी भी पुराना या बेकार खाता हो तो उसे बंद कराने में देर न करें