Supreme Court Big Decision – अगर आप भी सोचते हैं कि शादी के बाद पत्नी की जायदाद पर पति का पूरा हक बनता है, तो अब ज़रा रुकिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पत्नी को मिले गहने, पैसे, प्रॉपर्टी या कोई भी तोहफा – यानी जो भी ‘स्त्रीधन’ की श्रेणी में आता है – उस पर पति का कोई कानूनी हक नहीं बनता।
ये फैसला सिर्फ एक केस का हल नहीं था, बल्कि ये देश की करोड़ों महिलाओं के लिए अधिकारों की जीत है। तो चलिए, जानते हैं क्या है स्त्रीधन, क्या कहा कोर्ट ने और इससे आम महिलाओं को क्या फायदा होगा।
क्या है स्त्रीधन?
स्त्रीधन का मतलब है वो संपत्ति जो किसी महिला को शादी के पहले, शादी के समय या शादी के बाद उपहार स्वरूप मिली हो। ये उपहार उसके माता-पिता, रिश्तेदार या पति के परिवार से मिले हो सकते हैं। इसमें शामिल हो सकते हैं:
- सोने-चांदी के गहने
- नकद रकम
- जमीन या मकान
- बैंक बैलेंस या एफडी
- अन्य चल-अचल संपत्तियां
और ध्यान रखिए – ये सारी चीजें सिर्फ और सिर्फ महिला की मानी जाती हैं। पति या उसके परिवार का उस पर कोई हक नहीं होता।
कोर्ट में क्या हुआ मामला?
दरअसल, एक महिला ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि शादी के वक्त उसे 89 सोने के गहने मिले थे, लेकिन शादी की पहली रात ही उसके पति ने वो गहने “सुरक्षित रखने” के बहाने अपनी मां को दे दिए। बाद में पता चला कि उन गहनों को पति और सास ने अपने कर्ज चुकाने के लिए बेच दिया था।
फैमिली कोर्ट ने पहले ही ये मान लिया था कि महिला की बातें सही हैं और गहनों का गलत उपयोग हुआ है। फिर मामला केरल हाईकोर्ट गया, जहां महिला को आंशिक राहत ही मिली। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने महिला के हक में बड़ा फैसला सुनाया।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
- स्त्रीधन पर पति का कोई कानूनी हक नहीं होता।
- अगर पति इसे किसी परेशानी में इस्तेमाल भी करता है, तो बाद में उसे वो चीज या उसकी बाजार कीमत पत्नी को लौटानी होगी।
- स्त्रीधन को न लौटाना या उसका हड़पना अपराध माना जाएगा।
- पत्नी की संपत्ति को लेकर पति को मालिकाना अधिकार नहीं मिल सकता।
इस मामले में कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह महिला को उसके गहनों की भरपाई के रूप में 25 लाख रुपये लौटाए।
क्या कहता है ये फैसला?
यह फैसला महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। इसके जरिए अब हर महिला अपने स्त्रीधन की सुरक्षा के लिए कानूनी अधिकारों से लैस है। पहले बहुत बार ऐसा होता था कि शादी के बाद गहने और पैसे ससुराल वाले “सुरक्षित रखने” के नाम पर ले लेते थे और फिर कभी वापसी नहीं होती थी।
अब ये बात कानून में दर्ज हो गई है कि यह संपत्ति पूरी तरह से महिला की है। पति सिर्फ तभी इसका उपयोग कर सकता है जब दोनों के बीच सहमति हो और बाद में उसकी भरपाई करना अनिवार्य हो।
आम महिलाओं के लिए क्या सबक?
- शादी के समय मिले उपहारों की सूची और फोटो अपने पास रखें।
- गहनों की रसीदें और बिल संभालकर रखें।
- अगर कोई ससुराल वाला आपके गहने या पैसे लेता है, तो उसे लिखित में लें।
- अगर स्त्रीधन वापस नहीं किया जा रहा, तो कानूनी मदद लेने से न हिचकिचाएं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक बार फिर साबित करता है कि महिलाएं केवल घर की ज़िम्मेदारी नहीं संभाल रहीं, बल्कि अब अपने अधिकारों के लिए भी जागरूक हो चुकी हैं। अब अगर कोई पति, सास या अन्य रिश्तेदार स्त्रीधन को हड़पने की कोशिश करेगा, तो उसे कानून का सामना करना पड़ेगा।
ये फैसला उस सोच को भी करारा जवाब देता है जिसमें माना जाता था कि शादी के बाद महिला की संपत्ति पूरे परिवार की संपत्ति बन जाती है।
अगर आप महिला हैं और आपके साथ भी कभी स्त्रीधन को लेकर नाइंसाफी हुई है, तो ये जान लीजिए कि कानून आपके साथ है। और अगर आप पुरुष हैं, तो समझ लीजिए कि पत्नी के गहने, पैसे या प्रॉपर्टी पर आपका कोई अधिकार नहीं है, जब तक वो खुद न चाहें।
अब समय आ गया है कि हम अपने घरों में इन कानूनी हकों के बारे में बात करें, बच्चों को सिखाएं और एक समानता वाला समाज बनाएं।