Tenant Rights – अगर आप किसी शहर में नौकरी या पढ़ाई के सिलसिले में किराए के मकान में रह रहे हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है। अक्सर लोग बिना सोचे-समझे मकान मालिक की हर बात मान लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकते? इसके पीछे भी नियम-कानून होते हैं जो आपकी सुरक्षा करते हैं। तो चलिए आज हम आपको सरल और कैजुअल भाषा में बताते हैं कि एक साल में कितना किराया बढ़ाया जा सकता है, और आपके क्या हक हैं एक किरायेदार के तौर पर।
क्यों बढ़ रही है किराए की मार?
आज के दौर में शहरों में रहना बहुत आम हो गया है। नौकरी, कॉलेज या बिज़नेस के लिए लोग अपने गांव-शहरों से दूसरे बड़े शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। अब इतने लोगों के आने से किराए के मकानों की मांग बहुत ज्यादा हो गई है। मकान मालिक को पता है कि कोई न कोई तो किराए पर रहने के लिए मिल ही जाएगा, तो कई बार वो अपनी मनमानी करने लगते हैं – चाहे वो किराया बढ़ाना हो या फिर नई-नई शर्तें थोपना।
क्या मकान मालिक कभी भी किराया बढ़ा सकता है?
बिलकुल नहीं! अगर आपके पास लिखित किराया एग्रीमेंट है, तो मकान मालिक को उसी के हिसाब से चलना होता है। ज्यादातर लोग 11 महीने का एग्रीमेंट करते हैं। अगर उसमें कहीं नहीं लिखा कि सालाना किराया बढ़ेगा, तो उस एग्रीमेंट के दौरान मकान मालिक एक पैसा भी ज्यादा नहीं मांग सकता।
अगर एग्रीमेंट में लिखा है कि हर साल 10% बढ़ेगा, तो फिर वही लागू होगा। लेकिन अगर कुछ भी साफ-साफ नहीं लिखा है, तो किराया बढ़ाना गैरकानूनी माना जा सकता है।
हर राज्य के अलग-अलग कानून होते हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में हर राज्य का अपना किराया कानून है। जैसे:
- महाराष्ट्र में मकान मालिक साल में सिर्फ 4% तक ही किराया बढ़ा सकते हैं।
- दिल्ली में रेंट कंट्रोल एक्ट कहता है कि 7% से ज्यादा सालाना किराया नहीं बढ़ सकता अगर किरायेदार लंबे समय से रह रहा हो।
- कुछ राज्यों में सुधार कार्य (Renovation) के आधार पर भी थोड़ी बढ़ोतरी की अनुमति होती है, लेकिन उसके भी नियम हैं।
मरम्मत के नाम पर कितना बढ़ा सकते हैं किराया?
मान लीजिए मकान मालिक ने घर में कुछ बड़ा सुधार किया है, जैसे नई वायरिंग, पेंटिंग या पानी की टंकी बदली है। तो कुछ राज्यों में यह नियम है कि वो उस सुधार लागत का 15% तक किराया बढ़ा सकते हैं।
मतलब अगर 1 लाख का खर्च हुआ है, तो सालाना सिर्फ 15,000 रुपये तक की बढ़ोतरी ही वाजिब मानी जाएगी।
बिना नोटिस के किराया बढ़ाना गैरकानूनी है
हर राज्य के कानून ये भी कहते हैं कि किराया बढ़ाने से पहले मकान मालिक को आपको लिखित नोटिस देना होगा। यह नोटिस आमतौर पर 1 से 3 महीने पहले का होता है। अगर कोई मकान मालिक अचानक कह दे कि कल से 2000 रुपये ज्यादा देना होगा, तो आप मना कर सकते हैं और चाहें तो शिकायत भी कर सकते हैं।
किरायेदारों को क्या करना चाहिए?
कई बार हम सोचते हैं कि “यार मकान मालिक से पंगा लेकर क्या फायदा”, लेकिन अगर आप अपने अधिकार जानते हैं, तो कोई आपको परेशान नहीं कर सकता। नीचे कुछ आसान टिप्स हैं:
- हमेशा लिखित किराया एग्रीमेंट करें। मौखिक बातों पर भरोसा न करें।
- हर शर्त को पढ़ें और समझें। जरूरत हो तो किसी जानकार से पूछें।
- किराया रसीद लेना न भूलें। यह आपका सबसे बड़ा सबूत होता है।
- नोटिस के बिना बढ़ा हुआ किराया देने से मना करें।
- अपने राज्य के रेंट कंट्रोल कानून को एक बार जरूर पढ़ लें।
कब और कहां शिकायत कर सकते हैं?
अगर मकान मालिक ज़्यादा परेशान करता है, तो आप अपने शहर के रेंट कंट्रोल ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कुछ शहरों में तो किरायेदारों के लिए खास कोर्ट भी बनी हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन भी कई पोर्टल हैं जहां शिकायत की जा सकती है।
मकान मालिक और किरायेदार के बीच अच्छा रिश्ता जरूरी है
देखिए, मकान मालिक भी चाहते हैं कि किराया समय पर मिले और घर की देखरेख ठीक से हो। वहीं किरायेदार चाहते हैं कि उन्हें बिना टेंशन के रहने को जगह मिले। अगर दोनों एक-दूसरे की बात समझें और नियमों के अनुसार चलें, तो कोई विवाद नहीं होगा। बातचीत से हर समस्या हल हो सकती है।
अगर आप किराए पर रहते हैं, तो यह जानकारी आपके बहुत काम की है। मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकते। कानून आपके साथ है – बस जरूरत है जागरूक रहने की। हमेशा लिखित एग्रीमेंट करें, रसीद लें, और कोई भी दिक्कत हो तो सही तरीके से उसका हल निकालें।